शनिदेव पूजा विधि | शनि दोष दूर करने के लिए इस प्रकार करें शनि पूजन
हिन्दू धर्म में शनि देव को आपके कर्मो के फल देने वाले देव के रूप में जाना जाता है | शनि देव एकमात्र ऐसे देव है जो जातक को उसके कर्म के अनुसार फलीभूत करते है और दण्डित भी करते है | यह जातक के कर्मो के अनुसार निर्णित किया जाता है कि उसने किस प्रकार के कर्म किये है | पाप कर्म करने पर जातक को अलग-अलग प्रकार से दण्डित किया जाता है तो अच्छे कर्म करने वाले जातक सभी प्रकार के सुखों को भोगते है यह सब शनि देव(Shani Puja Vidhi) के अनुसार ही निर्धारित किया गया है | इसलिए ही सभी ग्रहों में भी शनिदेव को सबसे महतवपूर्ण माना गया है |
कुंडली में शनि दोषों को दूर करने के लिए, शनि की साढ़े साती और ढईया में आने वाली कठिनाइयों से छुटकारा पाने में शनि देव को प्रसन्न करने के अतिरिक्त कोई और सफल उपाय नहीं है | जीवन में रोगों का आना , आर्थिक रूप से परेशानी अनुभव करना , दाम्पत्य जीवन में असफलता, परिवार में कलह और शत्रुओं से परेशानी और भी बहुत से संकट है जिनके पीछे कहीं न कहीं शनि देव की कुद्रष्टि है | ऐस में शनि देव की विधिवत पूजा करने से लाभ अवश्य मिलता है |
यदि आपके पास आपकी कुंडली नहीं है और आप तरफ-तरह से जीवन में कठिनाइयाँ अनुभव कर रहे है तो ऐसे में आप सिर्फ शनि देव का ध्यान करें | शनि देव की पूजा(
Shani Puja Vidhi) ही आपको आपके संकट से छुटकारा दिला सकती है |
Shani Puja Vidhi) ही आपको आपके संकट से छुटकारा दिला सकती है |
हनुमान जी और शनिदेव के बीच विशेष संबंध है | एक बार शनिदेव हनुमान जी के पास उन्हें दण्डित करने जा पहुचे तब हनुमान जी और शनिदेव के बीच युद्ध हुआ और युद्ध में शनिदेव को हार का मुहँ देखना पड़ा | तब हनुमान जी ने शनिदेव को उनके दर्द से राहत के लिए उनके शरीर पर तेल लगाया था तब से ही शनिदेव को तेल चढ़ाने के प्रथा चली आ रही है | शनिदेव ने भी हुनमान जी से कहा आज से शनिवार के दिन जो भी जातक आपकी पूजा करेगा उसे शनि दोषों से भी राहत मिलेगी | तब से शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा शनि दोषों से राहत दिलाने में की जाती है |
शनि देव पूजा विधि /
Shani Puja Vidhi:-
घर पर शनिदेव की पूजा करते समय उनकी फोटो या मूर्ति आदि घर पर न लायें ऐसा करना वास्तु शास्त्र के विपरीत माना गया है | शनिदेव की पूजा उनका स्मरण करते हुए मन ही मन ध्यान करना चाहिए | आइये जानते है शनिदेव की पूजा किस प्रकार करनी चाहिए : –
- अगर आप प्रतिदिन शनिदेव की पूजा करते है तो सुबह-सुबह स्नान आदि करके काले या नीले वस्त्र धारण करें | सरसों के तेल का दीपक जलाएं इसमें थोड़े काले तिल अवश्य डाले | अब पूर्व दिशा की तरफ मुख करके आसन बिछाकर बैठ जाएँ | अब शनि मंत्र के जप या शनि चालीसा का पाठ करें | इसके बाद हनुमान जी का स्मरण करते हुए हनुमान चालीसा का पाठ करें |
- शनि देव की विशेष पूजा के लिए शनिवार का दिन शुभ माना गया है | शनिवार के दिन सुबह-सुबह पीपल के पेड़ में जल अर्पित करें और वहां तेल का दीपक जलाएं |
- शनिवार के दिन शनिमंदिर जाएँ और शनिदेव जहाँ शिला रूप में विराजमान है उस स्थान पर उन्हें तेल अर्पित करें | अब तेल का दीपक जलाएं | शिलारुपी शनिदेव को काले तिल, काली उड़द और लोहा व काले वस्त्र अर्पित करें | शनिदेव की प्रतिमा के बिल्कुल सामने कभी न जाएँ व उनकी आँखों में कभी न देखे | शनिदेव की प्रतिमा दे थोड़े दाई या बायीं तरफ से झुककर उन्हें प्रणाम करने और प्रसाद के रूप में रेवड़ी अर्पित करें | अब दान पात्र में कुछ रूपये अवश्य डालें |
- शनिदेव को प्रसन्न करने हेतु इस मंत्र के अधिक से अधिक जप करने चाहिए :
ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम: || - शनिवार के दिन शनिदेव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेकर व्रत करने से भी शनिदेव अतिप्रसन्न होते है |
- किसी गरीब की सहायता करना, बिना स्वार्थ के दान कार्य करना, किसी का अहित न करना और अपना आचरण सही रखना यह सब करने से शनि देव सबसे अधिक प्रसन्न होते है | सही अर्थ में यही शनिदेव की सबसे बड़ी पूजा(
Shani Puja Vidhi) है |