पीपल के पेड़ की पूजा के पीछे का रहश्य | शनिदोष निवारण में पीपल के पेड़ का महत्व

पीपल के पेड़ की पूजा के पीछे का रहश्य | शनिदोष निवारण में पीपल के पेड़ का महत्व

पीपल के पेड़ और तुलसी के पेड़ को धार्मिक द्रष्टि से बड़ा महत्व दिया गया है | पीपल के पेड़ को देववृक्ष भी कहा जाता है | शास्त्रों के अनुसार पीपल के पेड़ में सभी देवों का वास माना गया है स्कन्दपुराण में पीपल के पेड़ की विशेषताओं का वर्णन करते हुए कहा गया है कि पीपल के मूल में भगवान श्री विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण व पत्तों में हरि और फलों में सभी देवताओं का वास है | इसलिए पीपल के पेड़ की पूजा/(Pipal Ped ki Puja in Hindi) करने से सभी देव स्वतः ही प्रसन्न होते है |
पीपल का पेड़ स्वयं में साक्षात भगवान विष्णु का ही स्वरुप है | जो जातक मन में श्रद्धा भाव लेकर पीपल के पेड़ को प्रणाम करते है, उसे जल अर्पित करते है व इसकी पूजा करते है वे अपने इस जन्म के ही नहीं अपने पिछले जन्मों के भी हजारों पापों से मुक्त होते है | हिन्दू धर्म में बहुत से ऐसे पर्व आते है जिन पर पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है जैसे :- सोमवती अमावस्या के दिन भगवान श्री विष्णु और देवी लक्ष्मी का वास पीपल के पेड़ में होता है इसलिए इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा का विधान है |
Pipal Ped ki Puja in Hindi
पीपल के पेड़ को अक्षय वृक्ष की भी संज्ञा दी जाती है | पतझड़ के समय भी इस पेड़ के सारे पत्ते नहीं गिरते है कुछ गिरते है तो कुछ नये आने लगते है | जीवन और मृत्यु के जीवनचक्र का यह वृक्ष हमें बोध कराता है |

शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने का रहस्य :

पीपल के पेड़ की पूजा/(Pipal Ped ki Puja in Hindi) करने से सभी देवों का आशीर्वाद स्वतः ही प्राप्त होता है और जातक के पाप भी नष्ट होने लगते है | शनिदेव भी ऐसे जातक पर अपनी कृपा द्रष्टि बनाये रखते है |

Pipal Ped ki Puja in Hindi

पीपल के पेड़ और शनिदेव के संबंध में एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है : कैटभ नाम का राक्षस पीपल के पेड़ का रूप धारण कर लेता था और जो भी ब्राह्मण,ऋषि आदि हवन के लिए समिधा लेने जाते उसे खा जाता था | जब ऋषिओं को इस बात का पता चला तो वे सभी मिलकर शनिदेव के पास जा पहुंचे | अब शनिदेव ब्राह्मण का रूप धारण कर जा पहुंचते है उसी पीपल के पेड़(राक्षस कैटभ) के पास और जैसे  ही समिधा जुटाने लगते है कैटभ उन्हें भी खाने का प्रयास करता है | अब शनिदेव और राक्षस कैटभ के बीच युद्ध होता है और शनिदेव राक्षस कैटभ का वध कर ऋषिओं को राक्षस कैटभ के आतंक से छुटकारा दिलाते है |
अब सारे ऋषि मिलकर शनिदेव की पूजा करते है तो वे प्रसन्न होकर कहते है आज से आप सभी निसंकोच पीपल के पेड़ की पूजा करें आज के बाद जो भी जातक पीपल के पेड़ की पूजा करेगा उसे सभी देवों के साथ-साथ मेरा आशीर्वाद भी प्राप्त होगा | तब से शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए भी शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है |

पीपल के पेड़ द्वारा शनिदोष निवारण :-

शनि की साढ़े साती व ढैय्या के समय या शनिदोष शांति के लिए शनिवार की सुबह पीपल के पेड़ के नीचे एक सरसों के तेल का दीपक जलाये | दीपल के तेल में थोड़े काले तिल डाले | पीपल के पेड़ को जल अर्पित करते हुए इस मंत्र के लगातार उच्चारण करें : ॐ शं शनिश्चराय नमः | जल अर्पित करने के पश्चात् पेड़ की सात बार परिक्रमा करें और मंत्र के जप लगातार करते रहे |
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पीपल की पेड़ से जुड़ी कुछ अन्य जरुरी बाते :

पीपल के पेड़ के नीचे हवन व यज्ञ आदि करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है | आदि काल से ऋषिगण आदि भी पीपल के पेड़ के नीचे ही धार्मिक यज्ञ या अनुष्ठान आदि किया करते थे |
पीपल के पेड़ में पित्तरों का वास माना गया है | इसलिए पीपल के पेड़ की पूजा करने से परिवार से पित्तर दोष और पित्रऋण आदि दूर होते है |
कुछ मान्यताओं के अनुसार पीपल के पेड़ में बुरी शक्तियों का भी वास होता है लेकिन इसे पूर्णरूप से सही नहीं माना जा सकता है | लेकिन तांत्रिकों के द्वारा रात्रि के समय पीपल के पेड़ के नीचे तांत्रिक गतिविधियाँ करते बहुत बार देखा गया है/(Pipal Ped ki Puja in Hindi) |